अंतरिक्ष में 9 महीने का सफर
NASA की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और बुच विल्मोर का मिशन मात्र 8 दिन का होना था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर 9 महीने तक रुकना पड़ा। धरती पर लौटने के बाद, लोगों ने सुनीता के चेहरे, खासकर उनकी ठोड़ी (चिन) में बदलाव देखा। कई लोगों ने इसे \”लंबी ठोड़ी\” या \”डिफॉर्मेशन\” बताया, जिसके बाद डॉक्टरों ने इसकी वैज्ञानिक वजह समझाई।
अंतरिक्ष में शरीर पर होता है क्या असर?
NASA के अनुसार, माइक्रोग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) का शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है:
- हड्डियों का घनत्व कम होना: अंतरिक्ष में हर महीने 1% तक हड्डियाँ कमजोर होती हैं।
- मांसपेशियों में सिकुड़न: गुरुत्वाकर्षण के अभाव में मांसपेशियों को काम नहीं करना पड़ता, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं।
- चेहरे और शरीर में फ्लूइड शिफ्ट: गुरुत्वाकर्षण न होने से शरीर का तरल पदार्थ ऊपर की ओर बढ़ता है, जिससे चेहरा सूजा हुआ (पफी फेस) दिखाई देता है।
सुनीता विलियम्स के चेहरे में बदलाव की असली वजह
डॉक्टरों के अनुसार:
- चेहरे और गर्दन की मांसपेशियों के सिकुड़ने से ठोड़ी का आकार अस्थायी रूप से बदल सकता है।
- धरती पर लौटने के बाद शरीर का तरल पदार्थ दोबारा बैलेंस होता है, जिससे चेहरे की सूजन कम हो जाती है और ढीली त्वचा नज़र आ सकती है।
- लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से मेटाबॉलिज्म और भूख प्रभावित होती है, जिससे वजन कम हो सकता है।
अंतरिक्ष यात्रियों की रिकवरी प्रक्रिया
NASA के अनुसार, अंतरिक्ष से लौटने के बाद यात्री 6 महीने से 1 साल तक रिहैबिलिटेशन करते हैं:
- फिजियोथेरेपी: मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए।
- डाइट प्लान: प्रोटीन और कैल्शियम युक्त भोजन से हड्डियों का घनत्व बढ़ाना।
- साइकोलॉजिकल सपोर्ट: लंबे समय तक अलग-थलग रहने के मानसिक प्रभावों को कम करना।